गुवाहाटी, 30 जुलाई संवाद 365 : राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की अंतिम मसौदा सूची सोमवार को देश के महापंजीयक, केंद्रीय गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव (पूर्वोत्तर) और असम के एनआरसी समन्वय की मौजूदगी में प्रकाशित हुआ। एनआरसी के प्रकाशन के बाद राज्य के सभी राजनीतिक दलों ने काफी सोच-समझकर अपने-अपने विचार व्यक्त किए।
एनआरसी के प्रकाशन के पश्चात ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) सुप्रीमो व धुबड़ी के सांसद मौलाना बदरुद्दीन अजमल ने कहा कि मैं, मेरी पार्टी व जमीयत वर्ष 1960 से यही मांग करती आ रही है कि एनआरसी को पूर्ण रुप से लागू किया जाए। उन्होंने कहा कि मैं उच्चतम न्यायालय को धन्यवाद देना चाहता हूं कि न तो एनआरसी कांग्रेस लाना चाहती थी न ही भाजपा, लेकिन उच्चतम न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद एनआरसी का प्रकाशन हो पाया। उन्होंने कहा कि असम में 3 करोड़ 29 लाख लोग हैं, जिसमें 40 लाख से अधिक लोगों का नाम काटा जाना यह अपने आप में बड़ा सवाल है। उन्होंने कहा कि मेरी पार्टी व जमीयत यह चाहती है कि एक भी भारतीय का नाम एनआरसी से न काट जाए और एक भी बांग्लादेशी नागरिक का नाम एनआरसी में रहे। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी व जमीयत भारत के नागरिक चाहे वह हिंदू हों या मुसलमान उसके लिए हमारी पार्टी हर संभव मदद करेगी।
उन्होंने कहा कि हम और हमारी पार्टी भारतीय नागरिकों को देश की नागरिकता दिलाने के लिए जरूरत पड़ा तो निचली अदालत से उच्चतम अदालत तक जाएंगे। वहीं उन्होंने एक गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि एनआरसी में 40 लाख लोगों का नाम काटे जाने से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि जिन क्षेत्रों से मुस्लिम विधायक व सांसद जीतकर आते हैं वहां से कुछ मुस्लिमों का नाम काट कर वोट बैंक की राजनीति करने की कोशिश की जा रही है। इसको लेकर हम मंथन कर रहे हैं और हो सकता है दो-चार दिन के अंदर ही इस पर हम पूरा तथ्य एकत्र तक इसको सार्जजनिक करेंग।