शिलांग ,संवाद 365, 04 जून : मेघों के प्रदेश मेघालय की राजधानी शिलांग में गुरुवार की रात को दो समुदायों के बीच छोटे से झगड़े बाद हालात हिंसक हो गया है। गत पांच दिनों से राजधानी में स्थानीय खासी समुदाय ने पहले एक विशेष समुदाय पर हमला किया, बाद में लगातार शाम से देर रात तक सुरक्षा बलों व पुलिस पर पेट्रोल बम व पत्थरबाजी कर हमला कर रहा है। इसके चलते हालात बेहद भयावह बना हुआ है। ईसाई बहुल राज्य मेघालय में इस तरह की स्थिति लंबे समय के बाद देखने को मिली है। हिंसा पर उतारू भीड़ राजधानी से पंजाबी समुदाय को तुरंत बाहर निकालने की मांग को लेकर अड़ा हुआ है। इस हिंसा से राज्य के पर्यटन उद्योग को भारी नुकसान हुआ है।

उल्लेखनीय है कि मेघालय में अर्थव्यवस्था का मुख्य स्रोत कोयला और पर्यटन उद्योग है। शिलांग को देश का स्विटजरलैंड कहा जाता है। राजधानी शिलांग के अलावा मेघालय के विभिन्न हिस्सों में देश-विदेश से भारी संख्या में पर्यटक आते रहते हैं। हिंसा के इस माहौल में कोई भी पर्यटक शिलांग आने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। इसके चलते राज्य के पर्यटन उद्योग को भारी नुकसान हुआ है।

मेघालय की अर्थव्यवस्था का मूल आधार पर्यटन उद्योग और कोयला है। एक ओर जहां राज्य में कोयला खनन न्यायालय के आदेश के कारण फिलहाल लगभग बंद है, वहीं पिछले पांच दिनों से राजधानी में हिंसक हालात के चलते पर्यटकों पर बुरा प्रभाव पड़ा है।

असम से शिलांग प्रतिदिन बड़ी संख्या में छोटी गाड़ियां रवाना होती हैं, लेकिन उपद्रवियों द्वारा असम के वाहनों पर भी हमले किए जाने के कारण वाहनों की आवाजाही एक तरह से ठप हो गई है। राजधानी गुवाहाटी के जोराबाट पुलिस चौकी से सीमावर्ती इलाके से शिलांग को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-6 के किनारे विभिन्न तरह के छोटे-मोटे व्यवसाय करने वाले दुकानदारों ने शिलांग की हिंसा को राज्य के पर्यटन उद्योग व स्वयं के उद्योग के लिए बड़ा झटका बताया है। असम-मेघालय के सीमावर्ती इलाके मेघालय के जोराबाट, बर्नीहाट, रि-भोई जिले में सड़क के किनारे दुकान करने वाले लोगों का कहना है कि हिंसा के माहौल के कारण उनका धंधा पूरी तरह से चौपट हो गया है। राष्ट्रीय राजमार्गों पर वाहनों के नहीं चलने से उनकी दुकानदारी बुरी तरह से प्रभावित हुई है। दुकानदारों ने कहा कि जल्द ही हालात नहीं सुधरे तो उनके सामने भुखमरी की नौबत उत्पन्न हो जाएगी।

दूसरी ओर मेघालय में माल ढुलाई करने वाले वाहनों के चालक भी मेघालय की ओर जाने से कतरा रहे हैं। इसकी वजह से आने वाले दिनों में मेघालय सरकार का राजस्व जहां प्रभावित होगा, वहीं अत्यावश्यक सामानों की किल्लत भी उत्पन्न हो सकती है। हालात को देखते हुए ऐसा नहीं लग रहा है कि परिस्थिति अतिशीघ्र सामान्य होगी। मेघालय के मुख्यमंत्री से खासी स्टेट यूनियन के अलावा विभिन्न संगठनों ने मांग की है कि राजधानी शिलांग में जो इलाका हिंसा की वजह बना, वहां पर रहने वाले एक विशेष समुदाय को पूरी तरह से बाहर निकाला जाए। हालांकि यह विशेष समुदाय पांच दशक से अधिक समय से वहां पर रहते आ रहा है। हालांकि मुख्यमंत्री ने इस पर विचार करने का आश्वासन दिया है। मुख्यमंत्री से अपनी मांगों को मनवाने के लिए उपद्रवी और उग्र आंदोलन करने में जुटे हुए हैं।

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि विशेष समुदाय की पूरी बस्ती को वहां से हटा दिया जाए, तभी वे शांत होंगे। प्रदर्शनकारियों को जहां एक ओर स्थानीय दल संगठनों का साथ मिल रहा है| दूसरी ओर खासी स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष द्वारा यह कहा गया है कि एक विशेष समुदाय की बस्ती को वहां से पूरी तरह हटाना होगा। सोमवार को पांचवें दिन परिस्थिति समान होते दिखी, लेकिन आशंका है कि शाम होते ही हालात फिर से बेकाबू हो सकते हैं। इसके मद्देनजर सुरक्षा बल हिंसा वाले इलाकों पर नजर बनाए हुए हैं|

मुख्यमंत्री ने कहा है कि हालात को नियंत्रित करने के लिए सेना की भी मदद ली जा सकती है। हालांकि कुछ इलाकों में सेना ने फ्लैग मार्च भी किया है। अभी भी सरकार हालात के नियंत्रण में होने की बात कर रही है, लेकिन ऐसा नहीं है। प्रतिदिन हिंसा में इजाफा हो रहा है। मेघालय सरकार के पास सबसे बड़ी दिक्कत है कि अगर मेघालय सरकार वहां रह रहे स्थानीय लोगों के खिलाफ कठोर कदम उठाती है तो मेघालय का खासी स्टूडेंट यूनियन उनके खिलाफ राज्य स्तर पर आंदोलन आरंभ कर सकता है। जो सरकार के लिए काफी मुश्किल पैदा कर सकता है। कहने के लिए खासी स्टूडेंट यूनियन छात्र संगठन है, लेकिन इसकी ताकत यह है कि बिना सत्ता की राजनीति किए सत्ता में पूरी तरह से दखल रखता है। ऐसे में सरकार कोई कठोर कदम उठाने से पहले सौ बार फूंक-फूंककर कदम रख रही है।