गुवाहाटी, संवाद 365,16 अप्रैल : राजधानी के जोराबाट पुलिस चौकी इलाके में मंगलवार को एक लड़की लावारिस अवस्था में मिली। स्थानीय लोगों ने इसकी सूचना पुलिस को दी। पुलिस की पूछताछ में हैरतअंगेज खुलासे हुए। पता चला कि वह पिछले तीन वर्षों से सीआरपीएफ की 240वीं महिला बटालियन की इंस्पेक्टर नीतू रावत के घर पर नौकरानी के रूप में काम कर रही है, जहां उसे शारीरिक और मानसिक यातना दी जाती हैं। उत्तराखंड की 18 वर्षीय लड़की ने बताया कि लड़की ने बताया कि उसके घर में एक भाई और बहन हैं। उसके माता-पिता नहीं हैं। वह अपनी मामी के साथ उत्तराखंड में रहती थी। वह पिछले तीन वर्षों से इंस्पेक्टर नीतू रावत के साथ रह रही है। दो वर्षों तक वह अन्य राज्यों में इंस्पेक्टर नीतू रावत के साथ रहते हुए घर और बच्चा संभालने का काम करती रही। एक वर्ष से वह गुवाहाटी के नौ माइल स्थित सीआरपीएफ के ग्रुप केंद्र में इंस्पेक्टर के साथ रह रही है। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर नीतू रावत की तैनाती श्रीनगर में हुई है। मौका पाकर वह घर जाने के लिए मंगलवार सुबह सीआरपीएफ कैंप से निकल भागी। रास्ता भटक कर वह जोराबाट पहुंच गई। लड़की ने बताया कि नीतू रावत और उसका पति उसको शारीरिक और मानसिक यातनाएं देते हैं। वह परेशान होकर घर से भागी है। उसने रोते हुए कहा कि वह अपने घर जाना चाहती है। हैरान करने वाली बात यह है कि इस प्रकरण में जोराबाट पुलिस का रवैया शर्मसार करने वाला है। पुलिस ने लड़की की सहायता करने के बजाए नीतू रावत से फोन पर बात कर उसे पुनः सीआरपीएफ की एक अन्य महिला अधिकारी के हवाले कर दिया। स्थानीय लोगों ने पुलिस के इस कदम की कड़े शब्दों में निंदा की है। लोगों ने कहा कि पुलिस ने सीआरपीएफ के इंस्पेक्टर के साथ मिलकर लड़की को एक तरह से बंधक बना दिया है। साथ ही इस मामले में आवश्यक कार्रवाई करते हुए लड़की को न्याय दिलाने की मांग की है।