असरार अंसारी

गुवाहाटी, 20 नवंबर (संवाद 365)। तीन दशकों से आतंक का पर्याय बना मनोज राभा उर्फ दृष्टि राजखोवा को पकड़ने के लिए भारतीय सेना और पुलिस लगातार अपने खुफिया विभाग के साथ मिलकर काम कर रही थी। लेकिन दृष्टि राजखोवा हर बार सेना और पुलिस कुछ चकमा देकर आसानी से निकल जाता था। तीन दशकों से आतंक का पर्याय बना दृष्टि राजखोवा रंगिया स्थित सेना छावनी में आत्मसमर्पण किया ।उल्फा का एक खूंखार नेता द्वारा आत्मसमर्पण किए जाने के बाद परेश बरुआ गुट काफी कमजोर हो चुका है। तीन दशकों से दृष्टि राजखोवा का निचले असम में व्यापक प्रभाव था।

विभिन्न आतंकी घटनाओं को अंजाम देना और धन संग्रह करना निचले असम में दृष्टि के जिम्में था। उल्फा सेनाध्यक्ष परेश बरुआ का बाद दृष्टि राजखोवा था। जिनकारो के माने तो मुख्यधारा में दृष्टि राजखोवा के लौट आने के बाद परेश बरुआ गुट काफी कमजोर हो गया है। भारतीय सेना असम और मेघालय पुलिस लगातार प्रयासों के बाद भी दृष्टि राजखोवा की गिरफ्तारी या आत्मसमर्पण संभव नहीं हो रहा था। दृष्टि राजखोवा को मुख्यधारा में लाने सबसे अहम भूमिका असम पुलिस के आला अधिकारी हीरेन चंद्र नाथ की है।

मिली जानकारी के अनुसार एक साल पहले असम पुलिस के विशेष शाखा के मुखिया के दायित्व लेने वाले हीरेन चंद्र नाथ गुवाहाटी महानगर में सबसे ज्यादा समय तक पुलिस अधीक्षक के पद पर रहने वालें वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और गुवाहाटी पुलिस कमिश्नर के रूप में काम कर चुके थे। अपने अनुभव का फायदा हीरेन चंद्र नाथ ने उस समय उठाया जब उन्हें असम पुलिस की विशेष शाखा का दायित्व मिला। हीरेन चंद्र नाथ ने दृष्टि राजखोवा उर्फ मनोज राभा को मुख्यधारा में लाने या गिरफ्तारी करने के लिए विशेष रणनीति और माइंड गेम खेलना शुरू किया। हीरेन नाथ के प्रयासों के बाद दृष्टि राजखोवा पुलिस के जाल में फस गया। जिसके बाद दृष्टि राजखोवा ने फोन के जरिए पहले बार विशेष शाखा के आईजीपी हीरेन चंद्र नाथ और दूसरे बार असम पुलिस के डीजीपी भास्कर ज्योति महंत को अवगत कराया। हीरेन चंद्र नाथ के प्रयासों के बाद आखिरकार दृष्टि राजखोवा ने आत्मसमर्पण किया। दृष्टि द्वारा आत्मसमर्पण के जाने में भारतीय सेना, असम, मेघालय पुलिस, इंटेलिजेंस ब्यूरो यूनिफाइड कमांड और असम पुलिस के डीजीपी भास्कर ज्योति महंता की भूमिका भी अहम रही।

दृष्टि द्वारा आत्मसमर्पण किए जाने को लेकर मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल के साथ केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आईपीएस अधिकारी हीरेन चंद्र नाथ की प्रशंसा की। जानकारों की माने तो दृष्टि राजखोवा द्वारा भारतीय बांग्लादेश सीमा के पास भारी मात्रा में छिपा कर रखा है। अगर भारी मात्रा में उल्फा का हथियार असम पुलिस के आईपीएस अधिकारी हिरेन चंद्र नाथ द्वारा बरामद कर ली गई तो अल्फा की कमर पूरी तरह टूट जाएगा। उल्फा के खूंखार आतंकी दृष्टि राजखोवा द्वारा आत्म समर्पण किए जाने के बाद परेश बरुआ को अल्फा को फिर से शक्तिशाली करना एक बड़ी चुनौती होगी ।दृष्टि राजखोवा के जरिए परेश बरुआ को भी मुख्यधारा में लाना असम पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती है।