जोराबाट 13 जुलाई संवाद, 365 । आज सुबह हुए मुसलाधार बरसात के बाद गुवाहाटी के बाहरी इलाका जोराबाट के निकट तेरह माइल स्थित असम कृषि विश्वविद्यालय का एकमात्र बकरी अनुसंधान केंद्र कृतिम बाढ़ में डूब गया। जिसकी वजह से इस अनुसंधान केंद्र में बकरियों के कागज पूरा कृतिम बाढ़ में डूब गया जिसके बाद वहां काम कर रहे कर्मचारियों ने पैर के पत्ते तोड़कर बकरीयो को खिलाया। डॉक्टरों और कर्मचारियों के घर में पानी घुस जाने की वजह से इस अनुसंधान केंद्र में काम कर रहे डॉक्टर के अलावा कर्मचारी को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। इस संबंध में अनुसंधान केंद्र के चीफ साइंटिस्ट डॉक्टर अब्दुल सेलेक ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण के बाद से ही इलाके में कृतिम बाढ़ की समस्या उत्पन्न हो गई है। जोराबाट से बनी बर्नीहाट तक जाने वाली मुख्य नाला पर लोगों ने अवैध रूप से कब्जा कर रखा है। वही इलाके में लोग अवैध रूप से पहाड़ काटकर घर बना रहे हैं जिसकी वजह से मुख्य नाला मिट्टी से भर गया है। वहीं कई जगहों पर नाले के ऊपर काफी पुराना पुल है जो पानी को बहाव को रोकता है। इस अनुसंधान केंद्र के अलावा इलाके के 12 माइल 13 माइल तामुलीकुची 14 माइल 15 माइल व बर्नीहाट इलाके में भी कृतिम बाढ़ की वजह से हजारों लोगों को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है तेरह माइल तामली कूची निवासी लव मिकिर व रमनेराय ने कहा कि इस बार कृतिम बाढ़ की वजह से लोगों को सबसे ज्यादा नुकसान झेलना पड़ा है। वही बाढ़ की वजह से लोग घर से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। पिछले दस वर्षों से हम कृतिम बाढ़ की समस्या झेल रहे हैं। स्थानीय विधायक अतुल बोरा व सांसद विजय चक्रवर्ती ने चुनाव के समय कहा था कि इस इलाके की मुख्य समस्या बाढ़ पानी व सड़क का निर्माण हम चुनाव जीतने के बाद कर देंगे। लेकिन यह वादा सिर्फ चुनावी वादा रह गया। हम हर साल कृतिम बाढ़ की समस्या झेलते हैं। लेकिन कोई भी विधायक मंत्री या सांसद हमारी खबर लेने तक नहीं आता। असम की राजधानी दिसपुर के निकट दिसपुर विधानसभा क्षेत्र का यह इलाका है मंत्री विधायक या सांसद हमारे इलाके में सिर्फ चुनाव के समय ही देखते हैं उसके बाद हमें भूल जाते हैं।