कोहिमा, संवाद 365, 12 अप्रैल : नगालैंड के प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन एनएससीएन(खापलांग) ने म्यांमार सरकार से गिरफ्तार अपने कैडरों को बिना शर्त रिहा करने की मांग की है। पिछले महीने म्यांमार की सेना द्वारा चलाए गए अभियान के दौरान एनएससीएन(के) 16 कैडरों को गिरफ्तार किए जाने की जानकारी मिली थी। बताया गया था कि उग्रवादी संगठन ने म्यांमार सरकार से कहा है कि उसके कैडरों को अगर छोड़ा नहीं जाता है तो शांति वार्ता पर असर पड़ेगा। एनएससीए(के) ने म्यांमार सरकार के साथ शांति समझौता कर वार्ता कर रहा है।सूत्रों ने बताया कि म्यांमार सरकार ने पांच कैडरों को पहले ही रिहा कर दिया है, जबकि 11 कैडर अब भी म्यांमार की जेल में बंद हैं। उल्लेखनीय है कि म्यांमार की सेना जंगली इलाकों में अभियान चलाते हुए एनएससीएन(के) के मुख्य शिविर को ध्वस्त कर दिया था। उल्लेखनीय है कि पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों के उग्रवादी का ठिकाना पहले बांग्लादेश और भूटान में था लेकिन भारत सरकार की पहले से इन दोनों देशों से उग्रवादियों के पांव उखड़ गए। बाद में पूर्वोत्तर के उग्रवादी संगठन चीन की मदद से म्यांमार में शरण ली। एनएससीएन(के) ने शांति वार्ता के तहत म्यांमार सरकार से समझौता किया है, जिसके तहत व भारत से लगने वाले सीमाई इलाकों के जंगल में अपना कैंप बना रखा था। इन कैंपों में पूर्वोत्तर राज्यों के अन्य उग्रवादी संगठन भी एनएससीए(के) के नाम पर रहते थे लेकिन पिछले दिनों म्यांमार सेना द्वारा की गई कार्रवाई के बाद पूर्वोत्तर के उग्रवादियों की हालत बेहद खस्ता हो गई है। सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि भारत सरकार के आह्वान पर ही उग्रवादियों के विरुद्ध म्यांमार सरकार ने कार्रवाई की है।