नगांव , 16 सितंबर (संवाद 365)। आदि शक्ति मां दुर्गा की आराधना का पर्व 17 अक्टूबर से शुरू होगा। मूर्तियां तैयार करने वाले मूर्तिकारों ने गणेशोत्सव की तरह दुर्गोत्सव के भी सूनसान बीतने की आशंका से चिंतित हैं।
मूर्तिकार सपन पाल जो कि पिछले पचास वर्षों से तरुण राम फुकन रोड़ स्थित अपने शिल्प प्रतिष्ठान में विश्वकर्मा शिल्पालय में खानदानी व्यवसाय के रूप में मूर्तियां बना रहे हैंं और उनके पहले उनके पिता स्वर्गीय गोपाल चंद्रपाल मूर्तियां बनाया करते थे। शिल्प कारीगर सपन पाल ने बताया कि उनके साथ सैकड़ों लोगों को रोजगार मिलता था। जो इस बार पूरी तरह छीन गया है।
हर साल गणेशोत्सव से लेकर दुर्गोत्सव तक हजारों के करीब छोटी बड़ी मूर्तियां बनाकर बेचते थे, लेकिन इस बार ऐसा कुछ भी नहीं है। न ही आयोजन समितियों में कोई उत्साह है न ही मूर्तिकारों में उत्साह है। पाल का कहना है कि दुर्गोत्सव के दौरान करीब 70 से 80 प्रतिमाओं की बिक्री होती थी लेकिन आज स्थिति बिल्कुल विपरीत है।
उन्होंने कहा कि हमें इस बार सिर्फ पांच प्रतिमाओं का ही आर्डर मिला है। जिसमें एक प्रतिमा का ऑर्डर आज कैंसिल हो गया। पाल ने बताया कि दुर्गोत्सव को देखते हुए हमने कूचबिहार और असम के ग्वालपाड़ा से भी मूर्तिकारों को बुलाया था लेकिन अब व्यवसाय नहीं होने के चलते इनको रोज का हजीरा देना भी हमारे लिए दूभर हो गया है।
इन मूर्तियों से हमारा पूरा व्यवसाय चलता था। साथ ही हमारे परिवार का पालन पोषण भी इसी के जरिए होता था। लेकिन, अब हमें सोचना पड़ रहा है। हमारे पास खाना खाने के भी पैसे नहीं है ।.जिससे घर का खर्च, बच्चों की पढ़ाई, बिजली का बिल और विशेषकर मूर्तियां बनाने के लिए हम जो मिट्टी खरीदते हैं उसके रुपए देने की भी हमारी हैसियत नहीं रह गई है।
नम आंखोंं से पाल ने बताया कि जबसे लॉकडाउन शुरू हुआ है मनसा पूजा,बसंती पूजा,हनुमान मेला,शीतला पूजा,ब्रम्हा पूजा,काली पूजा,गणेश पूजा,बिहू,विश्वकर्मा पूजा और दुर्गा पूजा की मूर्तियां भी हमने बनाया था लेकिन अब उनकी बिक्री नहीं है और हमारा पैसा यूं ही मिट्टी में मिल गया।
मार्च महीने के बाद से लगे लॉकडाउन को लेकर केंद्र सरकार के आदेशानुसार सभी धार्मिक आयोजनों पर रोक लगा दी गई थी जिसके बाद से धार्मिक आयोजन पूरी तरह से बंद हो गए। यहां यह कहना लाजमी होगा कि लॉकडाउन के पश्चात हुए अनलॉक के बाद भी परिस्थिति असम में भयावह बनी हुई है फिर भी सरकार द्वारा राहत देने के बाद भी लोग कोरोना संक्रमण के चलते धार्मिक आयोजन बहुत सूक्ष्म रूप से मना रहे हैं।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार नगांव जिला में अभी कोरोना मरीजों की संख्या 6845 बताई गई है। जिला स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक मामलों की रिकवरी प्रतिशत भी पहले की तुलना में अच्छी हो रही है।