डिंपल शर्मा
नगांव, 11 जुलाई (संवाद 365)। यह प्रचंड आलोक बिखेरता सूर्य, यह असंख्य अमृत किरणें बिखेरता चंद्र, यह असीम जल्ल किल्लों से तरंगायमान समुद्र, यह विशाल धरा, ये उतुंग गिरी शिखर ,यह प्रवाहमान प्रभजन।
भगवान ने कर्म निर्जरा के अनेक उपाय बताए हैं। उनमें से तप यह उत्तम उपाय है। जिस प्रकार जमीन, पानी, वायु की अनुकूलता होने पर वनस्पति लहलहा उठती है। वैसे ही चातुर्मास के दिनों में प्राकृतिक वातावरण भी अनुकूल होता है। तपस्या के माध्यम से करोड़ों भव के कर्म की भी हम निर्जरा कर सकते हैं। भौतिक कामना से रहित तप आत्म कल्याण की सुनहरी आभा बिखेर सकता है ।
इस कड़ी में आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री संगीत श्री जी ठाणा- 4 जो कि वर्तमान में सिलचर में विराजमान है की प्रेरणा से नगांव के ग्यारह वर्षीय बालक श्री लक्ष्य सिंघी ( सुपुत्र श्री अमित -ममता सिंघी) ने आठ दिनों तक निराहार रहकर आठ की तपस्या की है। इस विकट परिस्थिति में भी छोटे से बालक ने मजबूत मनोबल का परिचय देते हुए अध्यात्म की ओर कदम बढ़ाया है। श्री लक्ष्य सिंघी ने आठ की तपस्या कर अपने परिवार व समाज का गौरव बढ़ाया है।
बालक लक्ष्य ने आठ दिनों तक सिर्फ पानी का सेवन सूर्यास्त के पहले किया। श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, तेरापंथ महिला मंडल, तेरापंथ युवक परिषद वह समाज के अन्य व्यक्तियों ने बालक लक्ष्य के घर जाकर जप व धार्मिक गीतिकाओं का संगान किया व तीनों संस्थाओं व ज्ञानशाला ने साहित्य व अन्य सामग्री भेंट कर बालक लक्ष्य के तप का अभिनंदन किया। समाज के प्रत्येक व्यक्ति ने बालक लक्ष्य की तपस्या की अनुमोदना की व उसके ज्ञान ध्यान तप में वृद्धि हो यह शुभकामनाएं दी। ज्ञात रहे कि कुछ दिन पूर्व सुश्री लक्ष्मी बोकड़िया ने भी आठ की तपस्या की थी।