गुवाहाटी, 12 दिसम्बर (संवाद 365)। आंचलिक डिमोरिया छात्र संघ और आट्सा के नेता व कार्यकर्ताओं द्वारा सोनापुर नाजीराघाट में बनाए गए टोल प्लाजा का फिर से एक बार विरोध किया जा रहा है।
रविवार को आंचलिक डिमोरिया छात्र संघ के कार्यालय में आयोजित संवादाता सम्मेलन के दौरान ऑल असम छात्र संघ की स्टेट कमेटी के संगठनिक सचिव दिव्य ज्योति मेधी ने कहा कि हम शुरू से ही इस टोल प्लाजा का विरोध करते आ रहे हैं। 27 नवम्बर को हमने राज्य के मुख्यमंत्री को एक पत्र प्रेषित कर इस टोल प्लाजा को बंद करने के लिए अनुरोध किया था। मुख्यमंत्री द्वारा किसी प्रकार की अब तक प्रतिक्रिया नहीं आई, जिससे हम काफी आहत हैं।
छात्र नेताओं ने कहा कि आज तक राष्ट्रीय राजमार्ग का काम पूरा नहीं हुआ है। बावजूद लोगों से टैक्स वसूला जा रहा है। वहीं इस बार एचएमसी कंपनी को जब से टोल प्लाजा का टेंडर मिला है, तब से कंपनी में काम करने वाले कर्मचारी इस मार्ग से गुजरने वाले वाहन चालकों से काफी दूर्व्यवहार करते हैं। एक ही वाहन का सोनापुर टोल प्लाजा में 110 के बदले 230, नगांव में 200, डबका में 160 वसूला जाता है। इसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए। अगर इसमें कोई भी व्यक्ति दोषी पाया गया तो उसके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
दिव्य ज्योति ने कहा कि एचएमसी कंपनी के हाथ में टोल प्लाजा के आने के बाद से मैक्सिमो वाहनों से हर टीप में पैसा वसूला जा रहा है। जो पहले फ्री था। वहीं स्कूल बस से भी हर महीने 6000 रुपये वसूला जा रहा है। जिसका खामियाजा छात्र-छात्राओं के अभिभावकों को भुगतना पड़ रहा है। स्कूल वाले स्कूल का भाड़ा, बस का भाड़ा 150 रुपये बढ़ा दिया है।
वहीं आट्सा के अध्यक्ष राजू गरइत और सचिव ध्रुव ज्योति कोइरी ने कहा टोल प्लाजा से बिना गुजरे ही हम गुवाहाटी और ऊपरी असम की ओर आसानी से आ-जा सकते हैं। इसके लिए हमारे पास कई विकल्प रास्ते हैं। समता-कलंगपार-चंद्रपुर, बरखात-बर्नीहाट, डिगारू-आमसिंहजोराबाट-नारंगी, जुगदल-नजीराघाट, बरखाट-ऐराबारी, नजीराघाट टोल प्लाजा से पहले जुगदल आइटीबीपी वाली सड़क के अलावा हमारे पास काफी विकल्प है।
संवाददाता सम्मेलन के दौरान डिमोरिया आंचलिक छात्र संघ की अध्यक्ष वर्षारानी मेधी और सचिव रिंटू दास ने कहा कि टोल प्लाजा से बचने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग-37 के स्थान पर अगर हम गांव की सड़क का व्यवहार करेंगे तो इससे गांव के लोगों को काफी फायदा होगा। गांव में किसानों द्वारा उत्पादित साग-सब्जी लोग गांव से ही खरीद सकेंगे। इससे लोगों को भी काफी लाभ होगा। वहीं स्थानीय किसानों को अपने सामान बेचने के लिए गुवाहाटी के अलावा अन्य बाजारों में नहीं जाना पड़ेगा।