विलियमनगर से एनसीपी के प्रार्थी जानाथन एन संगमा को मौत के घाट उतारने के दिन ही मेघालय के प्रतिबंधित संगठन गारो नेशनल लिबरेशन आर्मी के कमांडर इन चीफ ने मेघालय पुलिस और सुरक्षा बलों को ललकार दिया था। जानाथन एन संगमा की मौत के बाद मेघालय सरकार की काफी किरकिरी होने लगी थी जिसके बाद मेघालय सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पूरे गोपनीय तरीके से एक योजना बनाई। जिसमे जीएनएलए की कमर टूट गई। जीएनएलए के आक्रमण से जानथन एन संगमा के मौत के बाद मेघालय पुलिस ने जीएनएलएे के कमांडर इन चीफ का पता बताने वाले को दस लाख रुपये का इनाम देने का घोषणा कर दी और उसके बाद ही शनिवार को मेघालय पुलिस और सेना द्वारा चलाये गए अभियान में गारो उग्रवादी संगठन के मेंकमांडर इन चीफ मार गया। शनि सुबह मेघालय की इलाइट फोर्स एसएफ 10 के जवानों ने प्रतिबंधित संगठन गारो नेशनल लिबरेशन आर्मी (जीएनएलए) के कमांडर इन चीफ सोहन डी शिरा की मुठभेड़ में ढेर कर दिया।मेघालय पुलिस को शनिवार को एक गुप्त सूचना मिली थी कि मेघालय के ईस्ट गारो हिल्स जिले के डोबू सुडुग्री के आसपास बड़ी संख्या में जीएनएलए के आतंकवादी अपने कमांडर इन चीफ तथा असम के प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) स्वाधीन गुट के सेकंड कमांडेंट दृष्टि राजखोवा अपने अन्य कैडरों के साथ इलाके में छिपे हुए हैं। जैसे ही इलाके मे सुरक्षाबलों ने प्रवेश किया आतंकी सुरक्षाबल के लोगो पे अंधाधुंध गोली चलाना शुरू कर दिया। सुरक्षा बलों ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए गोलीबारी शुरू कर दी। गोलीबारी की आवाज थमने के बाद जब सुरक्षा बल घटनास्थल पर पहुंचे तो वहां एक शव मिला।जिसकी शिनाख्त करने पर पता चला कि वह जीएनएलए का कमांडर इन चीफ सोहन डी शिरा का शव है। घटनास्थल से सुरक्षा बलों ने विदेश में निर्मित एक अत्याधुनिक एचके राइफल गोली के साथ, एक पिस्तौल, कुछ जिलेटिन की छड़ें, डेटोनेटर, लैपटॉप के साथ ही कई आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किये। सोहन पहले मेघालय के प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन आचिक नेशनल वॉलंटियर कौंसिल (एएनवीसी) का एरिया कमांडर था। जिसने सरकार के साथ बातचीत करके 25 अगस्त, 2007 को आत्मसमर्पण किया था। कुछ समय बीतने के बाद उसने मेघालय पुलिस के एक डीएसपी चैंपियन सांगमा के साथ मिलकर वर्ष 2009 में जीएनएलए का गठन कर लिया था। जिसका वह स्वयंभू कमांडर इन चीफ बना बैठा। हालांकि बीच में वह गिरफ्तार भी किया गया था। लेकिन जेल तोड़कर भागने में वह सफल रहा। जबकि जीएनएलए का अन्य प्रमुख चैंपियन संगमा पिछले 4 वर्षों से राजधानी शिलांग के जेल में बंद है।
सोहन डी शिरा की तलाश पुलिस काफी सरगर्मी के साथ कर रही थी । लेकिन हर बार वो सुरक्षा बलों को चकमा देकर निकल जाता था। पिछले सप्ताह जीएनएलए द्वारा विलियम नगर के नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रत्याशी जोनाथन एन संगमा की हत्या किए जाने के बाद इस पूरे इलाके में सुरक्षा बल सक्रिय हो गया था। पूरे ईस्ट गारो हिल्स इलाके में सुरक्षा बलों द्वारा तलाशी और छापामारी अभियान चलाया जा रहा था। शनिवार सुबह एक गुप्त सूचना मिली कि इस इलाके के डोबू सुडुग्री के आसपास कुछ उग्रवादी छिपे हुए हैं। इसके बाद सुरक्षा बल सक्रिय हुए और पूरे इलाके को घेरकर सघन अभियान चलाया। फलस्वरुप शनिवार को सोहन डी शिरा मारा गया। इस स्वयंभू आतंकी के मारे जाने से मेघालय समेत असम के सीमावर्ती इलाकों में भी लोग खुशियां मना रहे हैं। सोहन डी शिरा के मारे जाने से जीएनएलए की कमर पूरी तरह से टूट चुकी है। अब संगठन में कुछ ही गिनती के सदस्य बचे हुए हैं। सुरक्षाबलों की यह एक बड़ी कामयाबी के रूप में देखा जा रहा है। पिछले कई वर्षों से अल्फा स्वाधीन जीएनएलए को आर्थिक रुप से मदद करता आ रहा है। अब देखने वाली बात होगी कि एक जीएनएलए के प्रमुख चैंपियन संगमा शिलांग के जेल बन्द में है।दूसरा कमांडर इन चीफ सोहन डी शिरा की मुठभेड़ में मौत हो गई है। अब बचे हुए केडर अल्फा स्वाधीन में जाते हैं या कोई नया केडर इस संगठन का पदभार संभालता है। आने वाले समय में अपने लीडर के मौत का बदला जीएनएलए लेने के लिए मेघालय में आतंकी घटना को अंजाम दे सकता है की नही ये मेघालय पुलिस के लिए बड़ी चुनौती होगी। मेघालय पुलिस जीएनएलए के बचे हुए केडर को या तो मुठभेड़ में मार गिराए या सभी केडरो को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर करें। मेघालय पुलिस के लिए बस यही दो रास्ता बचा हुआ है।