– सभी छुट्टियां रद्द करके सैनिकों को 72 घंटे में वापस बुलाया गया
– नौसेना ने युद्धपोत और जहाजों के साथ समुद्री सीमाओं पर पैनी नजर बढ़ाई
– चीन सीमा पर फाइटर प्लेन की तैनाती का भी फैसला लिया गया
नई दिल्ली, 17 जून (हि.स.)। गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प के बाद तीनों सेनाओं को अलर्ट पर रखा गया है। थल सेना, नौसेना और वायुसेना में सभी तरह की छुट्टियों को रद्द करके अवकाश पर गए सैनिकों को 72 घंटे के भीतर रिपोर्ट करने के आदेश दिए गए हैं। केंद्र सरकार ने किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तीनों सेनाओं को हथियार खरीदने की भी छूट दी है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को भी तीनो सेना अध्यक्ष, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ और रक्षामंत्री के साथ बैठक की। इसके बाद रक्षा मंत्री ने पीएम आवास 7 लोक कल्याण मार्ग जाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करके उन्हें बैठक में लिए गए फैसलों के बारे में जानकारी दी। इसी के बाद तीनों सेनाओं को अलर्ट पर रहने को कहा गया। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने तीनों सेनाओं को तालमेल बिठाने और जरूरत के मुताबिक प्राथमिकताएं तय करने के निर्देश दिए हैं।
भारतीय सेना के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि गंभीर रूप से घायल भारतीय सेना के चार जवान अब ठीक हो रहे हैं और अब वे ख़तरे से बाहर है। इसके अलावा 18 सैनिकों का इलाज लेह हॉस्पिटल में चल रहा है। इसके अलावा 58 सैनिकों को मामूली चोटें आई हैं। वह जल्दी ठीक हो जाएंगे और एक-दो हफ्ते में ड्यूटी जॉइन करने में सक्षम होंगे। लेह अस्पताल के अधिकारियों और कर्मचारियों ने परिसर में ही इकट्ठा होकर शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि दी।
भारत ने लद्दाख में सेना की तैनाती बढ़ाए जाने का फैसला किया है जिसके मुताबिक तैनाती भी शुरू कर दी गई है। सिक्किम और नॉर्थ ईस्ट क्षेत्र के चीन बॉर्डर पर सेना की तैनाती बढ़ाई जा रही है। एयर फोर्स अपने बेस पर पूरी तैयारी के साथ अलर्ट हो गई है। चीन सीमा पर गंभीर स्थिति को देखते हुए फाइटर प्लेन की तैनाती का भी फैसला लिया गया है। हिन्द महासागर क्षेत्र में भी नौसेना ने युद्धपोत और जहाजों के साथ समुद्री सीमाओं पर अपनी पैनी नजर बना ली है। सेना ने पहले ही अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ अपने सभी प्रमुख फ्रंट-लाइन ठिकानों पर अतिरिक्त जवानों को रवाना कर दिया है।
गलवान घाटी में सोमवार को हुई हिंसक झड़प के बाद पहली बार बुधवार को चीन के विदेश मंत्री ने भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर को टेलीफोन करके बात की। विदेश मंत्री ने चीन को खूब खरी-खरी सुनाई, और गलवान की हिंसक झड़प को चीन की सुनियोजित साजिश बताया। भारत ने कहा कि चीनी पक्ष अपनी गलतियों को समझे और सुधारात्मक कदम उठाए।
दूसरी तरफ चीन ने इस घटना के लिए भारत पर आरोप मढ़ते हुए कहा कि वह सोमवार को सीमा क्षेत्र में होने वाली झड़प की घटना की जांच करे और दोषी लोगों को दंडित करे। यह भी कहा कि किसी भी उकसावे वाली कार्रवाई को रोकने के लिए सीमा क्षेत्र में अपने सैन्य बलों को प्रतिबंधित करे।
सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने एक बयान में गलवान घाटी में शहीद हुए सभी रैंकों के बहादुर सैनिकों के सर्वोच्च बलिदान को सलाम करते हुए कहा कि हम उनके परिवारों के प्रति गहरी संवेदना प्रदान करते हैं। हम अपने देश की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा के लिए अपने संकल्प में मजबूती के साथ खड़े हैं। उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। भारतीय नौसेना ने भी गलवान घाटी में भारतीय सेना के उन बहादुरों के सर्वोच्च बलिदान को सलाम किया है, जिन्होंने देश की संप्रभुता की रक्षा और सुरक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। (हि.स.)
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