नई दिल्ली, 08 दिसम्बर (संवाद 365)। तमिलनाडु के कुन्नूर में बुधवार को दुर्घटनाग्रस्त हुए वायु सेना के हेलीकॉप्टर में भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत समेत 13 लोगों की मौत होने की पुष्टि वायुसेना ने कर दी है। जनरल सेना में रहने के दौरान अपनी पूरी जिन्दगी ऐसे रोल माडल की तरह जिये, जिसे हर सैनिक अपनाना चाहेगा। जनरल रावत 2016 में पाकिस्तान के आतंकी अड्डों को नष्ट करने के लिए हुई सर्जिकल स्ट्राइक के भी हीरो रहे हैं। सेना के तेज तर्रार अफसरों में शामिल चीफ आफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत के आक्रामक बयानों से चीन और पाकिस्तान खौफ खाते रहे हैं।

थियेटर कमांड बनाने की निगरानी कर रहे थे जनरल रावत

सैन्य बलों के प्रमुख बिपिन रावत को ऊंचाई पर जंग लड़ने और काउंटर-इंसर्जेंसी ऑपरेशन यानी जवाबी कार्रवाई के विशेषज्ञ माना जाता था। देश के पहले सीडीएस जनरल रावत भारतीय सेना के 27वें सेनाध्यक्ष भी रह चुके थे। इस दौरान उनके नेतृत्व में ही 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक करके पाकिस्तानी आतंकी शिविरों को ध्वस्त किया गया था। अमेरिका और चीन की तर्ज पर तीनों सेनाओं की एकीकृत थियेटर कमांड बनाने का कार्य उन्हीं की देखरेख में चल रहा था।

कन्नूर में हुए में मारे गए सभी लोगों ने भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टर एमआई-17वी 5 में पायलट विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान और स्क्वाड्रन लीडर कुलदीप के साथ उड़ान भरी थी। इस दौरान उनके साथ एक ब्रिगेडियर रैंक के अधिकारी समेत 14 लोग सवार थे। ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का सैन्य अस्पताल, वेलिंगटन में उपचार चल रहा है।
पाकिस्तानी आतंकी शिविर किये गए थे ध्वस्त

चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष के साथ-साथ जनरल बिपिन रावत को 31 दिसंबर, 2016 को भारतीय सेना के 26वें प्रमुख की जिम्मेदारी मिली और 31 दिसंबर, 2019 तक थल सेनाध्यक्ष के पद पर रहे। 2016 में जम्मू-कश्मीर के उरी में सेना के कैंप पर हुए आतंकी हमले के बाद 29 सितंबर, 2016 को पाकिस्तान के भीतर घुसकर की गई सर्जिकल स्ट्राइक के मुख्य सूत्रधार जनरल रावत ही थे। इस सैन्य कार्रवाई को ट्रेंड पैरा कमांडों के माध्यम से अंजाम दिया गया था। सेना में बतौर अधिकारी उन्होंने पाकिस्तान की सीमा एलओसी पर, चीन बॉर्डर और नॉर्थ-ईस्ट में एक लंबा वक्त गुजारा है।

एयरफोर्स और नेवी के साथ बेहतर तालमेल बिठाया

मूलरूप से उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में चौहान राजपूत परिवार से सम्बन्ध रखने वाले जनरल रावत के पिता लक्ष्मण सिंह रावत सेना से लेफ्टिनेंट जनरल पद से सेवानिवृत्त हुए। रावत ने ग्यारहवीं गोरखा राइफल की पांचवी बटालियन से 1978 में अपने करियर की शुरुआत की थी। बिपिन रावत ने कश्मीर घाटी में पहले नेशनल राइफल्स में ब्रिगिडेयर और बाद में मेजर-जनरल के तौर पर इंफेंट्री डिवीजन की कमान संभाली। दक्षिणी कमांड की कमान संभालते हुए उन्होंने पाकिस्तान से सटी पश्चिमी सीमा पर मैकेनाइजड-वॉरफेयर के साथ-साथ एयरफोर्स और नेवी के साथ बेहतर तालमेल बैठाया। चीन सीमा पर वह कर्नल के तौर पर इंफेंट्री बटालियन की कमान भी संभाल चुके हैं। उन्हें परम विशिष्ट सेवा पदक, उत्तम युद्ध सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक, युद्ध सेवा पदक, सेना पदक, विशिष्ट सेवा पदक दिया जा चुका है।

चीन और पाकिस्तान खौफ खाते रहे हैं उनके बयानों से

जनरल रावत ने देहरादून में कैंबरीन हॉल स्कूल, शिमला में सेंट एडवर्ड स्कूल और भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून से शिक्षा ली, जहां उन्हें ‘सोर्ड ऑफ़ ऑनर’ दिया गया। वह फोर्ट लीवनवर्थ, यूएसए में डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन और हायर कमांड कोर्स के स्नातक भी हैं। उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से डिफेंस स्टडीज में एमफिल, प्रबंधन में डिप्लोमा और कम्प्यूटर स्टडीज में भी डिप्लोमा किया है। 2011 में उन्हें सैन्य-मीडिया सामरिक अध्ययनों पर अनुसंधान के लिए मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट ऑफ़ फिलॉसफी से सम्मानित किया गया था। सेना के तेज तर्रार अफसरों में शुमार चीफ आफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत के बयानों से चीन और पाकिस्तान खौफ खाते रहे हैं।

अभी दो साल बाकी था सीडीएस का कार्यकाल

केंद्र सरकार ने भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के रूप में जनरल बिपिन रावत 30 दिसंबर, 2019 को नियुक्त किए था। बिपिन रावत ने 01 जनवरी, 2020 को सीडीएस का पदभार ग्रहण किया। उनका कार्यकाल अभी दो साल बाकी था। इसके बाद सरकार ने उन्हें सेनाओं की तीन नई कमांड बनाने की जिम्मेदारी सौंपी। इसी के तहत बनाये गए ‘रोडमैप’ में तीनों सेनाओं को मिलाकर तीन स्पेशल कमांड गठित करने का फैसला लिया गया, जो दुश्मन को किसी भी परिस्थिति में मुंहतोड़ जवाब दे सकें। इसमें सबसे पहले भारत के पूरे एयरस्पेस की सुरक्षा के लिए एयर डिफेंस कमांड (एडीसी) गठित करके इसका ऐलान अगले साल 15 अगस्त को लाल किले से किये जाने की तैयारी थी।