नई दिल्ली, 17 जून । गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ सोमवार रात को हुई हिंसक झड़प में भारत के कम से कम 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए हैैंं। अभी यह संख्या और बढ़ सकती है। दूसरी तरफ चीन के 43 सैनिकों के मारे जाने की खबर है। भारत की तरफ शहीद होने वालों मेेंं अभी भारतीय सेना के कर्नल बी. संतोष बाबू और दो सैनिकों हवलदार पलानी और सिपाही ओझा के नामों का खुलासा हुआ है। इसके बाद भी भारत ने चीन के साथ बातचीत से मामला सुलझाने की इच्छा जाहिर की है लेकिन यह भी संकेत है कि इसे भारत की कमजोरी न समझा जाए।

प्रधानमंत्री आवास पर पीएम मोदी के साथ गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह चीन के हमले में भारतीय सैनिकों के शहीद होने को लेकर देश में बने माहौल और आगे की रणनीति पर गंभीर मंथन किया है। उधर, भारत और चीन के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने भी एलएसी पर खराब हुई स्थिति को ठीक करने के लिए बैठक की है। चीन के उप विदेश मंत्री लुओ झाओहुई और चीन में भारतीय राजदूत विक्रम मिश्री ने भी बीजिंग में मुुुलाकात की है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार दोपहर साउथ ब्लॉक में विदेश मंत्री एस. जयशंकर, सैन्य बलों के प्रमुख (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत और सेना अध्यक्षों के साथ बैठक करके स्थिति पर चर्चा की। यह बैठक लगभग 90 मिनट तक चली। सिंह ने सेना प्रमुखों से पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी की मौजूदा स्थिति के बारे में जानकारी ली। उन्होंने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हिंसक झड़पों की वर्तमान स्थिति की समीक्षा करते हुए इस पर चर्चा की कि इस घटना के बाद क्या कूटनीतिक कदम उठाए जाने चाहिए। इस बैठक के बाद उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के जवानों के साथ हिंसक झड़प के दौरान सोमवार रात कर्नल संतोष बाबू और दो सैनिकों हवलदार पलानी और सिपाही ओझा के शहीद होने के बारे में जानकारी दी।

भारतीय सेना ने कहा है कि हिंसक झड़प के दौरान कोई भी गोली नहीं चलाई गई थी। भारतीय सेना ने एक और बयान में कहा कि वर्तमान में गलवान घाटी में चल रही डी-एस्केलेशन प्रक्रिया के दौरान सोमवार रात पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 के पास हिंसक टकराव हुआ, जिसमें दोनों पक्षों से सैनिक हताहत हुए। इस घटना के बाद चीनी पक्ष ने स्थिति पर चर्चा करने के लिए मंगलवार को भारत के साथ बैठक की मांग की। यह बैठक सुबह 7:30 बजे शुरू हुई थी और दोपहर तक चली।

भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे को मंगलवार सुबह कश्मीर का दौरा करना था, लेकिन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सोमवार रात हुए घटनाक्रम के बाद इसे रद्द कर दिया गया। वह शाम को दिल्ली पहुंचे और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से घर पर जाकर मुलाकात की। सीडीएस बिपिन रावत और विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी पहुंचे तो फिर दूसरी बार आर्मी चीफ के साथ करीब एक घंटा बैठक चली। बैठक ख़त्म होने के बाद पीएम मोदी से मिलने रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री उनके आवास पर गए।

चीन तथा भारत की सेनाओं के बीच लंबे वक्त से चल रहे सीमा विवाद को समाप्त करने के लिए कदम बढ़ाए जा रहे थे। 6 जून के बाद से कई राउंड की बात चल रही थी। सीओ से लेकर लेफ्टिनेंट जनरल तक के अधिकारियों के बीच बातचीत का दौर चल रहा था। इसके बाद फैसला लिया गया था कि दोनों देशों की सेना कुछ किलोमीटर तक पीछे हटेंगी और इसके बाद इस फैसले पर अमल भी किया गया था।

भारत और चीन के सैन्य अधिकारियों ने सोमवार को भी दिन में वार्ता जारी रखी। ब्रिगेडियर और कर्नल स्तर की हुई वार्ता में पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी क्षेत्र और हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र पेट्रोलिंग पॉइंट्स 14 और 17 के दो फेस-ऑफ स्थलों पर चर्चा हुई। इस बैठक के बाद सौर्हाद्रपूर्ण माहौल में दोनों फ़ौजों के 5-5 किलोमीटर पीछे हटने पर सहमति बन गई थी।

सोमवार देर शाम चीनी सैनिक फिर वादे से मुकर गए और टेंट लगा दिए। इसी मुद्दे पर भारतीय सैनिक विरोध दर्ज कराते हुए पेट्रोलिंग पॉइंट 14 पर चीनी जवानों को कल रात पीछे धकेल रहे थे। उसी दौरान दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हो गई। इसी बीच चीन के सैनिकों ने अचानक लोहे की रॉड और पत्थरों से हमला कर दिया जिसमें कर्नल संतोष बाबू और दो सैनिक हवलदार पलानी और सिपाही ओझा शहीद हो गए।

चीन सरकार के मुखपत्र ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने पीएलए वेस्टर्न थिएटर कमांड के प्रवक्ता के हवाले से कहा कि मंगलवार को भारतीय सैनिकों ने फिर से गलवान घाटी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पार की और उद्देश्यपूर्ण तरीके से भड़काऊ हमले किए जिससे फिर गंभीर झड़पें हुईं।

दूसरी तरफ पूर्वी लद्दाख की वास्तविक नियंत्रण रेखा क्षेत्र में गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के संबंध में चीन ने भारत पर दोष मढ़ने की कोशिश की है। चीन ने इस घटना के संबंध में भारत से विरोध दर्ज कराया है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि भारतीय सैनिकों ने सीमा का दो बार उल्लंघन किया और वह चीनी क्षेत्र में आ गए। उन्होंने चीनी सैनिकों पर हमला किया। इसके बाद दोनों पक्षों में शारीरिक झड़प हुई।

चीनी विदेश मंत्री ने इस घटना के बारे में कहा कि यह दोनों देशों के बीच बनी नीति का गंभीर उल्लंघन है। वांग ने कहा कि घटना के संबंध में भारतीय पक्ष से शिकायत दर्ज कराई गई है। भारत से कहा गया है कि वह अग्रिम मोर्चे पर तैनात अपने सैनिकों को यह सख्त हिदायत दे कि वे सीमा पार न करें और न ही कोई एकतरफा कार्रवाई करे, जिससे सीमा की स्थिति बिगड़े। विदेश मंत्री ने कहा कि भारत और चीन द्विपक्षीय मामलों को बातचीत से हल करने के लिए सहमत हैं, ताकि सीमा की स्थिति को सामान्य बनाया जा सके तथा वहां शांति कायम रहे। (हि.स.) फोटो स्रोत गूगल