गुवाहाटी, 05 अक्टूबर (संवाद 365)। नगांव पेपर मिल एवं कछार पेपर मिल गत कई वर्षों से बंद पड़ी है। मिल के हजारों कर्मचारियों को राहत देते हुए हाल ही में मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने उनका बकाया वेतन एवं अन्य बकाया की राशि करीब 570 करोड़ रुपए देने का ऐलान किया है।
मुख्यमंत्री के इस फैसले का नगांव पेपर मिल कांट्रेक्टर्स एसोसिएशन ने सोमवार को एक संवाददाता सम्मेलन में स्वागत किया है।
मुख्यमंत्री के इस ऐलान के बाद अब नगांव पेपर मिल कांट्रेक्टर्स एसोसिएशन की भी आस जगी है। संवाददाता सम्मेलन में उपस्थित एसोसिएशन के अध्यक्ष नारायण प्रसाद शर्मा, सचिव लाल राजभर, सदस्य अतनु बोरा, समीर दास सहित अन्य लोगों ने सरकार से ठेकेदारों की बकाया धनराशि को जारी करने की मांग की।
एसोसिएशन की ओर से बोरा ने मुख्यमंत्री डॉ. सरमा से आह्वान किया गया कि वे ठेकेदारों की भी फरियाद सुनने और उनका बकाया धन भी जल्द से जल्द जारी करने की दिशा में कदम उठाने का आह्वान किया। एसोसिएशन की ओर से संवाददाता सम्मेलन में कहा गया कि वर्ष 2015 में पेपर मिल बंद होने के बाद उनका बकाया धन नहीं मिलने के चलते उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा है। अब स्थिति यह आ गई है कि कई ठेकेदारों का अगर बकाया धन नहीं मिला तो वे लोग पूरी तरह सड़क पर आ जाएंगे। बाजार से लिए गए ॠण को चुकाने के लिए उन्हें जमीन-जायदात को बेचने की नौबत आ चुकी है।
एसोसिएशन की ओर से कहा गया कि फिलहाल मामला हिंदुस्तान पेपर कॉर्पोरेशन लिमिटेड के अंतर्गत दो मिलों नगांव पेपर मिल और कछार पेपर मिल का मामला नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल की अदालत में है। ट्रिब्यूनल पहले ही आईबीसी कोड, 2016 दिशा निर्देशों के मानदंडों के अनुसार दोनों मिलों की परिसंपत्तियों के परिसमापन और स्टॉकहोल्डर के बीच भुगतान जारी करने का निर्णय दे चुका है। ठेकेदारों को आशा ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वस है कि मुख्यमंत्री जल्द ही दोनों पेपर मिलों के कांट्रेक्टर, सप्लायर्स, हैंडेलिंग व मेंटेनेंस वेंडर को राहत देते हुए उनका बकाया धन का भुगतान करेंगे।
बोरा ने कहा कि पेपर मिल बंद होने के पीछे कुप्रबंधन एक बहुत बड़ा कारण था। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सरकार चाहे तो बांस के गाड़ियों की कथित गड़बड़ी की जांच भी करवा सकती है। साथ ही पेपर मिल के ऑडिट की भी जांच कर सकती है। एसोसिएशन की ओर से हर तरह से जांच में सरकार का पूर्ण सहयोग करने की बात कही गई।